Thursday, February 10, 2011


अल्फ़ाज़ों मैं वो दम कहाँ जो बया करे शख़्सियत हमारी,
रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा ,
यूँ देखने भर से नशा नहीं होता जान लो साकी,
हम इक ज़ाम हैं हमें होंठो से लगाना होगा..
हमारी आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं,
हमसे मिलकर मुर्दों के भी दिल धड़क जाते हैं,
गुस्ताख़ी मत करना हमसे दिल लगाने की साकी,
हमारी नज़रों से टकराकर मय के प्याले चटक जाते हैं..
यूँ तो बदल देता है प्यार जिंदगी को , पर
हम तो वो है जिससे मिलकर प्यार खुद बदल जाये
जब हमसे कोई जुदा होता है तो जैसे मछलियाँ पानी से जुदा हो जाती है
हमारी याद मे ये हवा भी जल जाती है
हमें मिटाने की बेकार कोशिश ना करो तुम ,क्यों की जब हम दफ़न होते है
तो ये जमी भी पिघल जाती है!!
हम वोह नहीं जो आपसे नाता तोड़ देंगे .
हम वोह नहीं जो गम मैं साथ छोड़ देंगे.
हम तो वोह साथी है जो आपकी साँस रुके तो
अपनी साँस जोड़ देंगे.
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मेरे सभी प्रिय मित्रो ,क्या रिश्ता है हमारा और आपका हम दूर है और पास भी
किस
रूप में हम मिले आपको यह किसे पता किस ठौर पर मिले आप हमे फ़िलहाल आप भी
यहाँ है और हम भी यहाँ है हम भारतवासी है इक है

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